Thursday, October 14

तुम याद तो रखोगे ना

आज तुम यहाँ नहीं हो
कल शायद मैं न हूँ
दो पल की जो थी मुलाकात
वो साथ
तुम याद तो रखोगे ना

माना लंबा है सफर
और मोड़ हमारे बदलेंगे
पर उस मोड़ की मिटटी
वो खुशबू
तुम याद तो रखोगे ना

शायद मैं कभी आगे निकल जाऊं
हो जाऊं अपने रास्ते से जुदा
मेरा नाम लेकर पुकार लेना मुझे
मेरा नाम
तुम याद तो रखोगे ना

भूली जा सकती है दुनिया
नहीं भूलते दोस्त
तेरी हर अदा याद रहेगी मुझे
मेरी सूरत
तुम याद तो रखोगे ना

अभी हारा नहीं हूँ मैं

मैं वक्त को दोहराऊंगा, लौट करके फिर मैं आऊंगा
खो दिया है जो मैंने, आखिर उसी को पाउँगा
अज़ीज़ था दिल से मुझे वो, उसे बस इतना बता दो...
जान ये निकली नहीं, अभी हारा नहीं हूँ मैं


इस हथेली को जला कर, ख्वाब देखे थे कभी
कांच के गित्ते ही निकले, राख से औंधे सभी
(काले चिराग ही तो थे वो, विश्वास की धुंध मैं खोये हुए)
तेल को तू रख गरम, इनको मैं फिर जलाऊंगा...
ताप मेरा बाद रहा, अभी हारा नहीं हूँ मैं


बेच दिए अरमान सारे, मेहनतकशी की राह पर
इस अरमान को पाना था, मिलता यही इस राह पर
आज कुंद हैं अरमान सारे, कदमों मैं फिर भी जान है...
कहदो आज रास्तों से, अभी हारा नहीं हूँ मैं