Thursday, February 14

खुश रहने की चाबीः पेशे से प्यार

व्यवसाय आपके लिये है, आप व्यवसाय के लिये नहीं है। धन्धा पेट के लिये है, आप धन्धे के लिये नहीं है। जीवन जीने के लिये मिला है, व्यवसाय में डूबने के लिये नहीं। यह मंत्र जिसकी समझ में आ जाता है वह व्यावसायिक जीवन का दास न होकर उसका आनन्द उठाता है। अपने कार्य, व्यवसाय, नौकरी से प्रेम कर उसका आनन्द उठायें। अपने काम की नकारात्मक बातें याद कर घृणा न करें। कई लोग अपने व्यवसाय को अपने अनुरूप न पाकर उससे शिकायत करते रहते हैं। यह असंतोष उनके जीवन को खोखला करता है व मन को अशांत करता है। इससे वे सदैव नाराज रहते हैं। जबकि वस्तुतः कोई भी व्यवसाय बडा या छोटा, अच्छा या बुरा नहीं होता है। यह उसके प्रति हमारी सोच है। व्यवसाय हमारे पेट के लिए होता है हम व्यवसाय के लिए नहीं बने हैं। हर व्यवसाय से लोग आगे बढ़ें हैं। दम पेशे में कम, व्यक्ति में अधिक होता है। व्यवसाय चुनने के पहले सारा दिमाग लगा दो। अपने मन-माफिक है या नहीं समझ ले। एक बार व्यवसाय विशेष को चुन लिया फिर उसका बुरा पक्ष नहीं देखें। उसका सामना करने के उपाय खोजं। उसमें भी बहुत सारी चुनौतियां व अच्छाईयां हैं।

Monday, January 28

प्यार का प्रदर्शन आवश्यक है।

प्यार का प्रदर्शन आवश्यक है। यदि आप किसी को प्यार करते हो तो उसको प्रकट करिये, दिखाइयें। व्यस्तता से भरे जीवन में प्यार को छिपाने की आवश्यकता नहीं है। अपनी चाहत सामान्य लोगो से तो कहनी ही पड़ेगी। वे आपके प्यार को अन्यथा समझ न पाऐगे तो प्यासे ही रहेंगे। सबसे कमजोर व दुःखी को प्यार की ज्यादा जरुरत है। यह सत्य है कि बुद्व पुरुषों या ज्ञानियों के सामने चाहत प्रदर्शित करने की जरुरत नहीं है । चूंकि आपके प्यार एवं समर्थन की उन्हें जरुरत नहीं है। लेकिन आम जन न तो आपके प्यार को पहचान सकता है, न प्रेम से परिपूर्ण है। उसे आपसे प्यार चाहिए इसलिए प्रदर्शित करों। तभी अमिताभ बच्चन बागवान में कहता है कि अधिकांश लोग अपनी पत्नी के प्रति प्यार को व्यक्त नही करते है। मैं यह गलती नहीं करता। मैं अपनी पत्नी के प्रति प्यार का बार-बार व्यक्त करता हूँ। वह अन्यथा आपके प्यार से वंचित रह जायेगा। इसलिए प्यार के प्रदर्शन में बुराई नहीं है। व्यक्त करना समय की मांग है। अतः उसे व्यक्त करने की कला जानो। सम्बन्धों की दीवार इसी से मजबूत होगी। माना कि कोई तुमसे प्यार करता है तो आप चाहते है न कि वह अभिव्यक्त करे। आप इसका आन्नद उठाओं। ठीक अन्य साथी भी उसी प्रकार को प्यार को प्रकट करने पर ही आन्नदित होते है ।

पैसा रास्ता है, मंजिल नहीं

धन आपका दास है, यदि आप उसका उपयोग जानते हैं। वह आपका स्वामी है, यदि आप उसका उपयोग नहीं जानते । एक बूढ़े व्यक्ति के पास एक सोने की ईंट थी। जिसे उसने लपेट कर बगीचे में गाड़ रखी थी। प्रति सप्ताह थोड़ी सी मिट्टी हटा कर उसे देखता रहता था। एक दिन पोते ने देखा कि दादाजी उस जगह को कभी-कभी खोद कर देखते हैं। उसने एक दिन खोद कर सोने की ईंट निकाल ली व उसी वजन व आकार का पत्थर रख दिया। दादाजी ने जब देखा तो रोने लगे। पोते ने कहा आपने आज तक उसका उपयोग किया नहीं, मात्र देख कर रख देते हैं। इसे देख कर रख लो तो क्या फर्क पड़ता है यह सोने की है या पत्थर की। आपको तो मात्र देखना है।’’ इसी तरह हम धन जमा कर उसे देखते रहते हैं। वह हमारे किसी काम नहीं आता है और हम विदा हो जाते है। एक रुचि कर खबर याद आई । आपने पढ़ा होगा कि मई दो हजार दस के अखबारों में डा. देसाई के घर छापा पड़ा हुई,1800 करोड़ रुपये व डेढ़ टन सोना मिला। वे सज्जन इन पैसों को रोज बूढ़े की तरह देखते ही तो थे। धन के दीवाने न बने। इसको बचाने के क्रम में रिश्तेदार न खोएँ। अगर पास में धन है तो जरुरत मन्द को दें। हमारा धन कोई खा सकता है, हमारी किस्मत नहीं। अतः धन हेतु माता-पिता व भाई-बहनों से लड़ना अनुचित है।