Wednesday, December 7

कैसे सफलता की तरफ ले जाती है भगवद गीता

भगवद गीता निराशा से मुक्त कर देती है ,हर श्लोक अपने आप में परिपूर्ण है .महाभारत में कृष्ण सिर्फ सारथि धर्म को ही निर्वाह करते हैं ,मतलब यह की यदि मनुष्य प्रबल आत्मविश्वास से कर्म करने के पग भरता है तो प्रकृति उसका मार्गदर्शन करने के तैयार रहती है ,जरुरत है मजबूती से खडा होने की . गीता "मेरापन " और " हमारा पन" यानि स्वार्थ तथा एकता की भावना के हानि और लाभ को दिखाती है.गीता दैवीय गुणों के विकास का मार्ग दिखाती है .गीता कर्म के हर अंग की विवेचना तर्क संगत रूप से करती है,गीता नीति को स्थापित करवाती है ,गीता अन्याय से लड़ने की शक्ति देती है ,गीता प्रेम के रूप का सूक्ष्मता से वर्णन करती है .गीता सच्चे वैराग्य में जीना सिखाती है ,गीता मृत्यु के भय से मुक्त करती है ,गीता निराशा को सहज ही तौड़ देती है .गीता कठिन परिस्थियों से संरक्षण करना सिखाती है .गीता व्यवस्था सिखाती है .इतनी बड़ी कौरव सेना से जीतना कोई आसान काम नहीं था लेकिन सही व्यवस्था से बड़े बड़ों पर काबू पाया जा सकता है . गीता की व्याख्या ,टीका जरुर पढ़े .आप किसी भी धर्म के हो मगर जीवन को सच्चे अर्थ में जीना चाहते हैं तो विभिन्न विद्वानों द्वारा की गयी गीता की व्याख्या को पढ़े ,समझे और अमल करे .सी राजगोपालाचारी विनोबा,गांधी सभी दिग्गज स्वतंत्रता सेनानियों पर श्रीमद भगवत गीता का गहरा प्रभाव था

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