Wednesday, November 2

गाँव के सुशील कुमार ने जीते पाँच करोड़

बिहार के सुशील कुमार ने 'कौन बनेगा करोड़पति' में पाँच करोड़ की पुरस्कार राशि जीतने में सफलता पाई है. बिहार के चंपारण के रहने वाले सुशील कुमार पेशे से एक शिक्षक हैं और उनकी मासिक आय छह हज़ार रुपए है.

कौन बनेगा करोड़पति के पाँचवें संस्करण की सर्वोच्च पुरस्कार राशि जीतने के बाद शो के एंकर अमिताभ बच्चन ने उन्हें मीडिया के सामने पेश किया.
अमिताभ बच्चन ने उनकी जमकर सराहना की है और कहा कि सुशील कुमार बहुत अच्छा खेले.

अमिताभ बच्चन ने कहा, "सुशील कुमार एक छोटे से गाँव से हैं. ये चंपारण, बिहार से हैं. ये वहाँ एक शिक्षक और कंप्यूटर ऑपरेटर भी हैं. इनके पास टीवी भी नहीं है. ये किसी और के यहाँ जाकर कौन बनेगा करोड़पति देखते थे."

उन्होंने सुशील कुमार के दृढ़ निश्चय की तारीफ़ की और कहा कि आम आदमी जो ठान लेता है, वो करके दिखाता है और सुशील कुमार इसका जीता-जागता नमूना हैं.

इस मौक़े पर सुशील कुमार की ख़ुशी छिपाए नहीं छिप रही थी. उन्होंने कहा कि उन्होंने सोचा नहीं था कि वे पाँच करोड़ जीत जाएँगे.

सुशील कुमार ने कहा, "मेरा घर टूटा हुआ है. मुझे घर बनवाना है. मैंने सोचा था कि घर का पुनर्निर्माण कराऊँगा, लेकिन अब तो मैं नया घर बनाऊँगा."

उन्होंने कहा कि वे अपने सभी भाइयों की मदद करेंगे. सुशील कुमार ने कहा कि उन्हें पढ़ने-लिखने का बहुत शौक है और पैसे की कमी के कारण ऐसा नहीं कर पाते थे.

सुशील कुमार ने कहा कि अब वे ख़ूब पढ़ाई करेंगे. उन्होंने कहा कि इसकी उन्होंने ख़ास तैयारी नहीं की थी. सुशील कुमार ने कहा कि इसमें वैसे ही सवाल पूछे जाते हैं, जो सामान्य प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं.

बम फ़ोड़ने की ज़िम्मेदारी-सुशील के हर सही उत्तर पर तेज़ आवाज़ वाले बम फ़ोड़ने की ज़िम्मेदारी भाई सुधीर ने अपने कंधों पर ले रखी थी. साथ में रखे लाऊडस्पीकर कार्यक्रम की आवाज़ दूर-दूर तक पहुँचा रहे थे.

पिता अमरनाथ प्रसाद पर्दे के ठीक बगल में एक कुर्सी पर बैठे थे. जैसे ही सुशील फ़ास्टेस्ट फ़िंगर फ़र्स्ट जीतकर अभिताभ बच्चन के सामने बैठे, हर जगह सीटियाँ बजनी शुरू हो गईं.

प्रेरणा- मोतीहारी में लोगों की ज़ुबान पर सुशील का नाम है. लोगों का कहना है कि सुशील की वजह से लोगों को उनसे बहुत प्रेरणा मिली है.

स्थानीय निवासी कृष्ण कुमार कहते हैं कि सुशील की वजह से पढ़ाई कर रहे बच्चों में एक नई उमंग जागृत हुई है, कि अगर पढ़ाई के बल पर सुशील ये सब हासिल कर सकता है तो मैं क्यों नहीं.